वायुमंडल की परते (Layers Of Atmosphere)
वायुमंडल की परते (Layers Of Atmosphere)
1. विक्षोभमंडल या परिवर्तनमंडल,
2. मध्यस्तर,(Troppause),
3. समताप मंडल,(Stratosphere)
2. मध्यस्तर,(Troppause),
3. समताप मंडल,(Stratosphere)
4. ओजोन मंडल,(Ozonosphere)
5. आयन मंडल,(Ionosphere)
6. बहिर्मंडल,(Exosphere)
5. आयन मंडल,(Ionosphere)
6. बहिर्मंडल,(Exosphere)
1. विक्षोभमंडल या परिवर्तनमंडल - वायु मंडल कि सबसे निचली परत को परिवर्तन मंडल कहा जाता हे, जिस की उचाई धरातल से लगभग 11 (K.M.) किलो मीटर हे, ग्रीक भाषा मे "ट्रोपोज" का अर्थ परिवर्तन होता हे। तापक्रम के घटने-बडने के कारण इस परत को परिवर्तन मंडल कहते हे. क्युकि भू पृष्ट के ऊपर जाने पर ताप क्र्म कम होता जाता हे. भू मध्य रेखा पर इस की औसत उचाई 16 (K. M) किलो मीटर. तथा ध्रुवीय अक्षांशो पर इस की औसत उचाई लग्भग 8 (K.M.) किलो मीटर रह जाती हे। इस मंडल की गर्म हवा का कारण पृथ्वी से प्राप्त ताप हे,
2. मध्यस्तर (Troppause) - परिवर्तन मंडल के शीर्ष भाग और सम ताप मंडल के प्रारम्भ के मध्य भाग को मध्य स्तर का नाम दिया गया हे। मध्य स्तर की दोनो पेटियो को संक्रमण भाग भी कहते हे। इस पेटी की चौडाई लग्भग 1.5 से 2 (K.M.) किलो मीटर तक हे। कभी-कभी परिवर्तनमंड्ल और समतापमंड्ल मे विशेष परिवर्तन क्रियाए प्रारंभ हो जाती है तब इस पेटी का अस्तित्व कही-कही कम दिखायी देता हैं और ऐसा मालूम पड़ता हैं कि वहा मध्यस्तर हैं ही नहीं !
3. समतापमंडल (Stratosphere) - वायुमनडल की इस परत में ताप वितरण की समानता पाये जाने के कारण। इसे समतापमंडल कहा जाता हैं यहां ऊँचाई कि ओर बढ़ता हुआ ताप घटता नही अपितु समान रहता हैं इस तथ्य की खोज अप्रेल सन 1888 मे यूरोपीय वैज्ञानिक टोजरेन्स डी. बोर्ट्ठ ने की । इस परत में विकिरन द्वारा ताप का ग्रहण भी ताप विस्तृत विकिरण के बराबर है ! क्षोभ सिमा (Tropopause) से इस परत की ऊँचाई 80 किलोमीटर मानी गई है
4. ओजोन मंडल (Ozonosphere) - समताप मंडल के ऊपर की परत में ओजोन गेस की अधिक उपस्थिति के कारण इस परत को ओजोन या ओसोण मंडल कहा गया है यह ओजोन गेस वायुमंडल में पराबैंगनी (Ulteaviolet) को बहुत जल्दी अपने मे सोक लेती है तथा उस मे सोर विकिरन के अवशोषण की समता अधिक है यदि वायुमंडल में इस मण्डल का विस्तार पाया जाना संभव नही होता तो पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के शरीर को अपार हानि होती! मनुष्य अंधे हो जाते तथा शरीर सोर-किरनो के ताप से झुलस जाता हे
5. आयनमंडल (Ionosphere) - वायुमंडल में इस भाग की ऊँचाई 80 से 640 किलोमीटर तक है । इस भाग में आयनीकृत कणो की प्रधानता होने से उसे आयनमंडल के नाम से पुकारते है । यह मंडल ओजोन मंडल के टिक ऊपर वाला भाग है । इस भाग के अधिकांश उपरी भाग की जांच अभी पूण रूप से नही हुई है । आकाश का नीलवर्ण, विद्युत चमक और बरमाण्ड किरणो का अवशोषण इस भाग की विशेषता है । आयनमंडल रेडियो तरंगो को अपने यहां से पृथ्वी की ओर लोटा देता है तथा पृथ्वी इन्हें पुनः ऊपर भेज देती है । यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक तरंग कोई दूर अपना स्तान ग्रहण नही कर लेती है ।
6. बहिर्मंडल (Exosphere) - आयनमंडल के ऊपर 640 किलोमीटर की ऊँचाई के पस्चात वायुमंडल का सबसे उच्चा भाग बहिरमण्डल है । हीलियम गेस की उपस्थिति के कारण इस परत में अधिक ताप होने का अनुमान है । यहाँ यह तापमान 6000℃ तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया जाता है । वायु यहां अत्यधिक विरल बे ।अभी तक इस मंडल के विषय मे विशेष जानकारी प्राप्त नही की जा सकी है ।
2. मध्यस्तर (Troppause) - परिवर्तन मंडल के शीर्ष भाग और सम ताप मंडल के प्रारम्भ के मध्य भाग को मध्य स्तर का नाम दिया गया हे। मध्य स्तर की दोनो पेटियो को संक्रमण भाग भी कहते हे। इस पेटी की चौडाई लग्भग 1.5 से 2 (K.M.) किलो मीटर तक हे। कभी-कभी परिवर्तनमंड्ल और समतापमंड्ल मे विशेष परिवर्तन क्रियाए प्रारंभ हो जाती है तब इस पेटी का अस्तित्व कही-कही कम दिखायी देता हैं और ऐसा मालूम पड़ता हैं कि वहा मध्यस्तर हैं ही नहीं !
3. समतापमंडल (Stratosphere) - वायुमनडल की इस परत में ताप वितरण की समानता पाये जाने के कारण। इसे समतापमंडल कहा जाता हैं यहां ऊँचाई कि ओर बढ़ता हुआ ताप घटता नही अपितु समान रहता हैं इस तथ्य की खोज अप्रेल सन 1888 मे यूरोपीय वैज्ञानिक टोजरेन्स डी. बोर्ट्ठ ने की । इस परत में विकिरन द्वारा ताप का ग्रहण भी ताप विस्तृत विकिरण के बराबर है ! क्षोभ सिमा (Tropopause) से इस परत की ऊँचाई 80 किलोमीटर मानी गई है
3. समतापमंडल (Stratosphere) - वायुमनडल की इस परत में ताप वितरण की समानता पाये जाने के कारण। इसे समतापमंडल कहा जाता हैं यहां ऊँचाई कि ओर बढ़ता हुआ ताप घटता नही अपितु समान रहता हैं इस तथ्य की खोज अप्रेल सन 1888 मे यूरोपीय वैज्ञानिक टोजरेन्स डी. बोर्ट्ठ ने की । इस परत में विकिरन द्वारा ताप का ग्रहण भी ताप विस्तृत विकिरण के बराबर है ! क्षोभ सिमा (Tropopause) से इस परत की ऊँचाई 80 किलोमीटर मानी गई है
4. ओजोन मंडल (Ozonosphere) - समताप मंडल के ऊपर की परत में ओजोन गेस की अधिक उपस्थिति के कारण इस परत को ओजोन या ओसोण मंडल कहा गया है यह ओजोन गेस वायुमंडल में पराबैंगनी (Ulteaviolet) को बहुत जल्दी अपने मे सोक लेती है तथा उस मे सोर विकिरन के अवशोषण की समता अधिक है यदि वायुमंडल में इस मण्डल का विस्तार पाया जाना संभव नही होता तो पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के शरीर को अपार हानि होती! मनुष्य अंधे हो जाते तथा शरीर सोर-किरनो के ताप से झुलस जाता हे
5. आयनमंडल (Ionosphere) - वायुमंडल में इस भाग की ऊँचाई 80 से 640 किलोमीटर तक है । इस भाग में आयनीकृत कणो की प्रधानता होने से उसे आयनमंडल के नाम से पुकारते है । यह मंडल ओजोन मंडल के टिक ऊपर वाला भाग है । इस भाग के अधिकांश उपरी भाग की जांच अभी पूण रूप से नही हुई है । आकाश का नीलवर्ण, विद्युत चमक और बरमाण्ड किरणो का अवशोषण इस भाग की विशेषता है । आयनमंडल रेडियो तरंगो को अपने यहां से पृथ्वी की ओर लोटा देता है तथा पृथ्वी इन्हें पुनः ऊपर भेज देती है । यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक तरंग कोई दूर अपना स्तान ग्रहण नही कर लेती है ।
6. बहिर्मंडल (Exosphere) - आयनमंडल के ऊपर 640 किलोमीटर की ऊँचाई के पस्चात वायुमंडल का सबसे उच्चा भाग बहिरमण्डल है । हीलियम गेस की उपस्थिति के कारण इस परत में अधिक ताप होने का अनुमान है । यहाँ यह तापमान 6000℃ तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया जाता है । वायु यहां अत्यधिक विरल बे ।अभी तक इस मंडल के विषय मे विशेष जानकारी प्राप्त नही की जा सकी है ।


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